सावन का महीना भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में विशेष महत्व रखता है। यह सिर्फ एक मौसम नहीं, बल्कि आस्था, स्वास्थ्य और प्रकृति के संतुलन का प्रतीक माना जाता है। इसी महीने में भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है और व्रत-उपवास का चलन भी बढ़ जाता है। इस दौरान मांसाहार से परहेज़ करना एक परंपरा बन चुकी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे कारण क्या है? सिर्फ धार्मिक या स्वास्थ्य से जुड़े कुछ गहरे रहस्य हैं, जिनसे बहुत से लोग अनजान हैं।
हिंदू धर्म में मांसाहार पर सावन के दौरान रोक क्यो

हिंदू धर्म में आहार को तीन प्रकार में बांटा गया है – सात्त्विक, राजसिक और तामसिक। मांसाहार तामसिक श्रेणी में आता है, जिसे अध्यात्मिक उन्नति में बाधक माना गया है। चूंकि सावन पूजा-पाठ और आत्म-संयम का महीना होता है, इसलिए तामसिक भोजन वर्जित होता है। इसके अलावा, मांस खाने से मन में अस्थिरता आती है, जिससे ध्यान और भक्ति में कमी आती है। कई धर्मग्रंथों और संतों ने भी इस महीने मांसाहार से दूर रहने की सलाह दी है।
क्यों सावन के ही महीने में नहीं खाते हैं नॉनवेज? जानकर उड़ जाएंगे आपके होश Why Non-Veg is Avoided During Sawan – Health-Based Reasons You Should Know

सावन का महीना सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह मौसम हमारे शरीर की असली परीक्षा भी लेता है। बारिश, नमी और बदलते तापमान के कारण हमारा पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है, जिससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आप भारी और तामसिक भोजन जैसे नॉनवेज खाते हैं, तो ये आपके शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचा सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि सावन में नॉनवेज खाना आपके स्वास्थ्य के लिए कैसे खतरनाक साबित हो सकता है।
पाचन तंत्र पर सीधा असर – Digestion Gets Disturbed
सावन के मौसम में नमी और ठंडापन शरीर के मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देता है। आयुर्वेद के अनुसार, इस समय अग्नि (Digestive Fire) कमजोर पड़ जाती है। ऐसे में मांसाहारी भोजन जो पहले से ही भारी होता है, उसे पचाने में पेट को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
इसके नतीजे

- पेट में भारीपन और गैस बनना
- अपच और खट्टी डकारें
- नींद न आना या आलस बना रहना
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस मौसम में हल्का, ताजा और पचने में आसान खाना ही सेहत के लिए बेहतर होता है।
बैक्टीरिया और इंफेक्शन का खतरा – Infection Risk Gets Higher
मॉनसून में नमी की वजह से मांस जल्दी खराब हो सकता है। यदि मांस को सही तरीके से स्टोर नहीं किया जाए, तो उसमें बैक्टीरिया और फंगस पनपते हैं। ऐसा नॉनवेज खाने से फूड प्वाइज़निंग, डायरिया, उल्टी और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
डॉक्टरों की राय
सड़ा हुआ मांस शरीर के लिए ज़हर की तरह हो सकता है।
- यह इम्यून सिस्टम पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
कमजोर इम्युनिटी पर हमला – Immunity Takes a Hit

बारिश के मौसम में शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कम हो जाती है। नॉनवेज जैसे भारी खाने से इम्युन सिस्टम और दबाव में आ जाता है, जिससे आप सामान्य वायरल से लेकर गंभीर बीमारियों तक की चपेट में जल्दी आ सकते हैं।
Nutritionists के अनुसार, इस मौसम में दालें, अंकुरित अनाज और फल जैसे शाकाहारी विकल्प ज्यादा फायदेमंद हैं।
स्किन और एलर्जी की समस्याएं – Skin & Allergies Can Flare Up
नॉनवेज में मौजूद हीट और फैट्स इस मौसम में स्किन के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। बरसात की ह्यूमिडिटी में स्किन पहले से ही संवेदनशील हो जाती है, और भारी भोजन स्किन एलर्जी को ट्रिगर कर सकता है।
संभावित समस्याएं:
- चेहरे पर पिंपल्स और रैशेज
- शरीर में खुजली और फंगल इंफेक्शन
- पसीने की बदबू और चुभन
Dermatologists भी मानते हैं कि मॉनसून में साफ और सात्त्विक आहार स्किन को स्वस्थ रखता है।
मानसिक भारीपन और हार्मोनल असंतुलन – Mental & Hormonal Imbalance

सावन में नॉनवेज खाने से कई बार मूड खराब, थकान और नींद की समस्या देखने को मिलती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारी भोजन शरीर में हार्मोनल डिसबैलेंस पैदा कर सकता है, खासकर तब जब पाचन ठीक से काम नहीं कर रहा हो।
इसके लक्षण:
- चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स
- नींद न आना
- मानसिक थकान और एकाग्रता की कमी
आयुर्वेद के अनुसार, सात्त्विक भोजन मन को शांत करता है जबकि नॉनवेज जैसे तामसिक भोजन से बेचैनी बढ़ती है।
निष्कर्ष – Conclusion
सावन सिर्फ पूजा-पाठ और व्रत का महीना नहीं है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करने का अवसर है। जब वातावरण और शरीर दोनों कह रहे हों कि “हल्का खाओ, संयम से जियो” — तो तामसिक और भारी भोजन से दूरी रखना बुद्धिमानी है।
इस सावन अपने शरीर को दें एक ब्रेक। नॉनवेज से कुछ दिन की दूरी आपको देगा कई फायदे – सेहत, संतुलन और सुकून।
डिस्क्लेमर
इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। Dr You भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।