क्या चाउमिन से होता है कैंसर जानिए इसकी सच्चाई और सेहत पर असर


क्या चाउमिन से हो सकता है कैंसर

चाउमिन यानी तले हुए नूडल्स, आज भारत के हर गली-मोहल्ले में लोकप्रिय स्ट्रीट फूड बन चुके हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक इसका स्वाद सभी को पसंद आता है। लेकिन हाल ही में एक सवाल लोगों को परेशान कर रहा है – “क्या चाउमिन से कैंसर हो सकता है?”

इस सवाल का जवाब आसान नहीं है, लेकिन अगर हम चाउमिन में डाले जाने वाले तत्वों, उसके बनने की प्रक्रिया और उसके सेवन की आदतों को ध्यान से समझें, तो यह सवाल बेहद गंभीर बन जाता है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि चाउमिन से जुड़ा यह खतरा कितना वास्तविक है।

POSAD तत्व (POSAD Framework)

तत्वविवरण (Explanation)
P – पोषण (Nutrition)चाउमिन में मुख्य रूप से मैदा (refined flour), तेल, नमक, और सॉस होते हैं। इसमें प्रोटीन, फाइबर या विटामिन्स की मात्रा बेहद कम होती है। इसमें इस्तेमाल होने वाले तत्व जैसे MSG, मिलावटी सॉस और तेल पोषण नहीं देते बल्कि शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
O – उत्पत्ति (Origin)चाउमिन की उत्पत्ति चीन से हुई है, लेकिन भारत में यह लोकल स्ट्रीट फूड के रूप में बेहद लोकप्रिय है। यहां इसे स्वास्थ्य से ज्यादा स्वाद को ध्यान में रखकर बेचा जाता है, जिसके कारण गुणवत्ता में गिरावट और मिलावट आम हो गई है।
S – संरचना (Structure/Composition)चाउमिन में मैदा, सोया सॉस, चिली सॉस, MSG, सिरका, सब्ज़ियाँ (कभी-कभी), और बार-बार गर्म किया गया तेल उपयोग होता है। ये सभी मिलकर ट्रांस फैट्स, उच्च सोडियम और केमिकल्स का खतरनाक मिश्रण बनाते हैं।
A – अनुपयोगिता (Adverse Effect)चाउमिन के बार-बार सेवन से पाचन संबंधी समस्याएं, मोटापा, हॉर्मोनल असंतुलन, उच्च रक्तचाप, न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें और संभावित कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। विशेष रूप से बार-बार इस्तेमाल किया गया तेल और MSG कैंसरजनक माने जाते हैं।
D – दिशा (Direction/Guidance)यदि चाउमिन खाना हो तो घर पर साफ-सुथरे और हेल्दी तरीके से, बिना MSG और मिलावटी सॉस के बनाएं। बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इससे दूर रखें। बाहर का स्ट्रीट फूड सीमित करें और स्वस्थ विकल्पों जैसे ओट्स, सब्ज़ी नूडल्स, दलिया आदि को प्राथमिकता दें।

1. चाउमिन की उत्पत्ति और भारत में इसकी लोकप्रियता

चाउमिन असल में एक चीनी व्यंजन है जिसे भारत में भारतीय मसालों और स्वाद के साथ बदला गया है।

  • इसमें नूडल्स को सब्जियों, तेल, सॉस और कभी-कभी मीट के साथ पकाया जाता है।
  • भारत में यह सबसे सस्ता और जल्दी मिलने वाला फास्ट फूड है, खासकर स्कूली बच्चों और कॉलेज स्टूडेंट्स के बीच।
  • लेकिन जितनी तेजी से इसकी लोकप्रियता बढ़ी है, उतनी ही तेजी से इससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ रही हैं।

2. अजीनोमोटो (MSG) – स्वाद का जादू या सेहत का दुश्मन

अजीनोमोटो या MSG (Monosodium Glutamate) चाउमिन का प्रमुख स्वाद बढ़ाने वाला एजेंट है।

  • यह मस्तिष्क को धोखा देकर भोजन को अधिक स्वादिष्ट बनाता है।
  • लेकिन कई शोधों में यह पाया गया है कि MSG का अत्यधिक सेवन सिरदर्द, उच्च रक्तचाप, उल्टी, और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • कुछ रिसर्च इसे कैंसर के जोखिम से भी जोड़ते हैं, हालांकि इसका सीधा संबंध अब तक निर्णायक रूप से सिद्ध नहीं हुआ है।

फिर भी, WHO और FSSAI इसे सीमित मात्रा में प्रयोग करने की सलाह देते हैं।


3. बार-बार इस्तेमाल किया गया तेल – एक धीमा ज़हर

स्ट्रीट फूड वेंडर्स अक्सर तेल को बार-बार गर्म करते हैं ताकि लागत कम हो।

  • बार-बार गर्म करने से तेल में ट्रांस फैट्स और पॉलिसायक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन्स (PAHs) बनते हैं।
  • ये दोनों ही रसायन कैंसर कारक (Carcinogenic) माने जाते हैं।
  • खासकर पेट, लिवर और आंत के कैंसर से इनका गहरा संबंध है।

WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी का एक कारण यह खाद्य व्यवहार भी है।


4. मिलावटी सॉस और आर्टिफिशियल कलर

चाउमिन में डाले जाने वाले सोया सॉस, चिली सॉस, सिरका आदि कई बार स्थानीय स्तर पर मिलावटी होते हैं।

  • इनमें आर्टिफिशियल कलर और फ्लेवरिंग एजेंट्स मिलाए जाते हैं जो शरीर में जाकर टॉक्सिन्स बनाते हैं।
  • कुछ सस्ते सॉस में बेंजीन और सॉर्बेट्स जैसे तत्व पाए जाते हैं जो लिवर के लिए बेहद हानिकारक हैं और लंबे समय में कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।

5. अखबार या प्लास्टिक में परोसे जाने से भी बढ़ता है कैंसर का खतरा

अक्सर स्ट्रीट वेंडर्स गर्म-गर्म चाउमिन को अखबार या प्लास्टिक की थाली में परोसते हैं।

  • गर्म खाना जब इन सतहों को छूता है तो उसमें से खतरनाक रसायन खाने में मिल सकते हैं।
  • अखबार की स्याही और प्लास्टिक के रसायन शरीर में जमा होकर कैंसर, विशेषकर आंत और मूत्राशय कैंसर का कारण बन सकते हैं।

6. माइक्रोप्लास्टिक्स और लेड – अदृश्य खतरे

कुछ लोकल नूडल्स कंपनियों द्वारा उपयोग किए गए घटिया क्वालिटी के पैकेजिंग मटेरियल में माइक्रोप्लास्टिक्स और लेड (सीसा) पाए गए हैं।

  • ये तत्व शरीर के हार्मोन सिस्टम को बिगाड़ते हैं और कैंसर जनक हो सकते हैं।
  • भारत के कई छोटे ब्रांड्स में जांच के दौरान यह खतरा सामने आ चुका है।

7. बच्चों और किशोरों के लिए सबसे अधिक खतरनाक

बच्चे जब नियमित रूप से चाउमिन या इंस्टेंट नूडल्स खाते हैं:

  • उन्हें जरूरी पोषण नहीं मिलता।
  • उनके शरीर में टॉक्सिन्स की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ती है।
  • लंबे समय तक सेवन करने से मेटाबॉलिज्म गड़बड़ाने लगता है और भविष्य में कैंसर जैसी बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।

8. डॉक्टर और न्यूट्रिशनिस्ट की राय

“चाउमिन और ऐसे अन्य प्रोसेस्ड फूड्स को हफ्ते में एक बार से अधिक नहीं खाना चाहिए। खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इससे दूर रहना चाहिए।”
डॉ. विनय अग्रवाल, कैंसर विशेषज्ञ, एम्स दिल्ली।

“MSG और बार-बार गर्म किया गया तेल शरीर के आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचाता है, जो आगे जाकर कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।”
डायटिशियन मेघा वर्मा


9. चाउमिन की जगह क्या खाएं

अगर आप चाउमिन छोड़ना चाहते हैं, तो इन हेल्दी विकल्पों को आज़माएं:

  • घर पर बने Whole Wheat या रागी नूडल्स
  • उबली सब्जियों के साथ पास्ता
  • दलिया उपमा या सब्जी पुलाव
  • वेजिटेबल रैप्स या ओट्स चीला

इन विकल्पों में न केवल स्वाद मिलेगा, बल्कि पोषण भी।


10. चाउमिन और कैंसर – वैज्ञानिक रिपोर्ट क्या कहती हैं

  • IARC (International Agency for Research on Cancer) ने MSG और PAHs को “Possibly Carcinogenic” की कैटेगरी में रखा है।
  • 2020 में भारत के ICMR द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि स्ट्रीट फूड्स खाने वालों में आंत और लिवर संबंधी रोगों का प्रतिशत अधिक था।
  • 2023 की WHO रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 35% से अधिक कैंसर के मामले खानपान से जुड़े जोखिमों के कारण होते हैं।

11. स्वास्थ्य की ओर कदम – कुछ ज़रूरी सुझाव

  1. चाउमिन बाहर खाने से बचें, खासकर बच्चों को।
  2. अगर खाएं भी, तो घर पर सीमित मात्रा में बनाएं।
  3. पैक्ड नूडल्स या सॉस खरीदते समय उनकी सामग्री पढ़ें।
  4. नियमित डिटॉक्स और फाइबर युक्त भोजन लें।
  5. ऑर्गेनिक और बिना MSG वाले उत्पादों का प्रयोग करें।

निष्कर्ष – चाउमिन खाएं या नही

चाउमिन अपने आप में कैंसर पैदा करने वाला भोजन नहीं है, लेकिन इसमें प्रयोग होने वाले घटक, पकाने का तरीका, और बार-बार सेवन – ये सब मिलकर शरीर के लिए कैंसरजनक वातावरण बना सकते हैं।

अगर आप अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य को लेकर सजग हैं, तो चाउमिन को केवल विशेष अवसरों तक सीमित रखें और नियमित भोजन के रूप में इसका चयन न करें।


अंतिम सुझाव:

स्वाद के लिए कुछ मिनट की खुशी, लेकिन अगर वह आदत बन जाए तो हो सकता है वर्षों की बीमारी।
स्मार्ट बनें, हेल्दी खाएं।


डिस्क्लेमर

इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। Dr You भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।

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