CRiB ब्लड ग्रुप: ये अनोखा खून बना सकता है जानलेवा – जानिए लक्षण, खतरे और बचाव
भारत में पहली बार CRiB ब्लड ग्रुप (एक अत्यंत दुर्लभ रक्त समूह) की पहचान हुई है, जो मेडिकल साइंस के लिए एक चौंकाने वाली खोज है। यह ब्लड ग्रुप इतना रेयर है कि दुनिया में सिर्फ गिने-चुने लोग ही इसके वाहक हैं। CRiB ब्लड ग्रुप न तो सामान्य A, B, AB या O प्रकार में आता है और न ही पारंपरिक Rh पॉज़िटिव या नेगेटिव कैटेगरी में। इसकी पहचान से न केवल भारतीय ब्लड बैंक सिस्टम की सीमाएं सामने आई हैं, बल्कि यह भी स्पष्ट हुआ है कि कुछ मरीजों के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन जीवन-मरण का प्रश्न बन सकता है। डॉक्टर्स का मानना है कि ऐसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप के मामले इम्यून सिस्टम पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे रिएक्शन, अंगों की विफलता और जीवन की गंभीर स्थिति बन सकती है। इस खोज ने हेल्थ सेक्टर को हिला दिया है और अब ज़रूरत है जागरूकता और नई ब्लड बैंक नीति की
CRiB ब्लड ग्रुप क्या है | What is CRiB Blood Group
CRiB ब्लड ग्रुप एक बहुत ही दुर्लभ और अनोखा रक्त समूह है, जो न तो सामान्य A, B, AB या O ग्रुप में आता है और न ही Rh पॉजिटिव या नेगेटिव में शामिल होता है। यह ग्रुप शरीर में मौजूद एक खास एंटीजन (जिसे Cromer एंटीजन कहा जाता है) की वजह से अलग होता है। इसी वजह से इसे साधारण ब्लड टेस्ट में पहचान पाना मुश्किल होता है।
इस ग्रुप की पहचान आमतौर पर तब होती है जब मरीज को बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की ज़रूरत पड़ती है, लेकिन कोई भी ब्लड ग्रुप मैच नहीं करता। ऐसे में विशेष जांच के बाद ही CRiB ब्लड ग्रुप का पता चलता है।
दुनिया भर में अब तक 50 से भी कम लोगों में ही यह ब्लड ग्रुप पाया गया है। इसलिए इसे “Rarest of the rare” यानी दुनिया का सबसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप माना जाता है।
भारत में CRiB ब्लड ग्रुप की पहचान कैसे हुई
भारत में पहली बार CRiB ब्लड ग्रुप की पहचान कर्नाटक के बेंगलुरु शहर में हुई। यहाँ एक महिला मरीज को बार-बार खून की ज़रूरत पड़ रही थी, लेकिन किसी भी सामान्य ब्लड ग्रुप से उसका मैच नहीं हो रहा था। डॉक्टरों को शक हुआ कि यह कोई बेहद दुर्लभ मामला है।
जब रेगुलर A, B, AB या O ब्लड ग्रुप और Rh पॉजिटिव/नेगेटिव सभी टेस्ट नकारात्मक आए, तब सैंपल को विशेषज्ञों द्वारा एडवांस इम्यूनो-हैमेटोलॉजी टेस्ट के लिए भेजा गया। जांच में सामने आया कि महिला का ब्लड ग्रुप सामान्य श्रेणियों से बिल्कुल अलग है – यह CRiB यानी Cromer ग्रुप से जुड़ा एक विशेष प्रकार का ब्लड है।
इस केस ने पूरे मेडिकल सिस्टम को चौंका दिया, क्योंकि यह भारत का पहला आधिकारिक मामला था जिसमें इतना दुर्लभ ब्लड ग्रुप सामने आया। इसके बाद डॉक्टरों और ब्लड बैंकिंग सिस्टम में अलर्ट जारी किया गया।CRiB ब्लड ग्रुप क्यों है जानलेवा?
CRiB ब्लड ग्रुप वाले मरीजों के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन एक बहुत बड़ा खतरा बन सकता है, क्योंकि इनका ब्लड ग्रुप इतना अनोखा और दुर्लभ होता है कि आसानी से किसी दूसरे व्यक्ति का खून इनसे मेल नहीं खाता।
यदि ऐसे मरीज को गलत ब्लड दे दिया जाए, तो शरीर का इम्यून सिस्टम उस ब्लड को बाहरी तत्व (विष) समझकर लड़ने लगता है, जिससे गंभीर रिएक्शन हो सकता है।
इस तरह की प्रतिक्रिया को मेडिकल भाषा में Hemolytic transfusion reaction कहा जाता है, जो शरीर के अंगों (खासकर किडनी और लिवर) को नुकसान पहुंचा सकती है और कई बार जानलेवा भी हो सकती है।
CRiB ब्लड ग्रुप से जुड़े खतरे
- ब्लड का मैच न मिलना: इस ग्रुप से मेल खाने वाला ब्लड मिलना बेहद मुश्किल है।
- गलत ब्लड मिलने पर रिएक्शन: शरीर में तेज बुखार, चक्कर, उल्टी और अंग विफलता हो सकती है।
- इम्यून सिस्टम पर असर शरीर अपने ही खिलाफ काम करने लगता है, जिससे रोगी की हालत बिगड़ती है।
- आपात स्थिति में इलाज मुश्किल: एक्सीडेंट या सर्जरी के समय तुरंत ब्लड मिल पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
डॉक्टरों की राय

CRiB ब्लड ग्रुप वाले मरीजों को सिर्फ बिल्कुल समान एंटीजन वाला ब्लड ही चढ़ाया जा सकता है। अन्यथा जान को खतरा हो सकता है। – डॉ. सुभाष शर्मा, ट्रांसफ्यूजन एक्सपर्ट.
CRiB ब्लड ग्रुप वालों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
CRiB ब्लड ग्रुप इतना दुर्लभ है कि इसके मरीजों के लिए छोटी-सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है। इसीलिए, ऐसे लोगों को कुछ जरूरी सावधानियाँ हमेशा अपनानी चाहिए।
जब किसी व्यक्ति का ब्लड ग्रुप सामान्य कैटेगरी (A, B, AB, O और Rh+) से अलग होता है, तो डॉक्टरों के लिए भी तुरंत सही इलाज करना चुनौती बन जाता है। इसलिए यह ज़रूरी है कि CRiB ब्लड ग्रुप वाले लोग खुद जागरूक और सतर्क रहें।
ज़रूरी सावधानियाँ
- मेडिकल ID कार्ड हमेशा रखें जिसमें साफ लिखा हो कि आपका ब्लड ग्रुप CRiB है। इससे इमरजेंसी में डॉक्टर्स सही निर्णय ले सकें।
- डॉक्टर को पहले से सूचित करें किसी भी सर्जरी, डिलीवरी या इलाज से पहले अपने डॉक्टर को अपने दुर्लभ ब्लड ग्रुप के बारे में जरूर बताएं।
- परिवार को जानकारी दें आपके परिवार और करीबी लोगों को भी यह जानकारी होनी चाहिए ताकि वे आपात स्थिति में सही मदद कर सकें।
- ब्लड बैंक से संपर्क बनाए रखें Rare Donor Registry में अपना नाम दर्ज करवाएं ताकि ज़रूरत पड़ने पर मैच किया जा सके।
- ब्लड स्टोरेज की तैयारी रखें यदि पहले से कोई बड़ी सर्जरी या डिलीवरी प्लान हो, तो डॉक्टर की मदद से ब्लड स्टोर करने की व्यवस्था करें।
डॉ. समीक्षा जैन, ब्लड सेफ्टी एक्सपर्ट कहती हैं
CRiB ब्लड ग्रुप वाले मरीजों को हमेशा अपनी ब्लड हिस्ट्री डॉक्युमेंट के साथ रखनी चाहिए ताकि हर अस्पताल में उनकी जान की सुरक्षा बनी रहे।
CRiB केस से भारत के हेल्थ सिस्टम को क्या सीख मिली
CRiB ब्लड ग्रुप का मामला हमारे हेल्थ सिस्टम के लिए एक अलार्म जैसा है। इससे पता चला कि रेयर ब्लड ग्रुप्स के लिए हमारी तैयारी बहुत कमजोर है।
जरूरी सुधार
- Rare Donor Registry बनाना जरूरी है, जिससे ज़रूरत पड़ने पर ऐसे डोनर तक तुरंत पहुंच हो सके।
- उन्नत जांच तकनीक अपनानी चाहिए, जैसे Molecular Typing, ताकि रेयर ग्रुप की सही पहचान हो सके।
- बड़े अस्पतालों में रेयर ब्लड स्टोरेज की सुविधा होनी चाहिए, जिससे ब्लड को सुरक्षित रखा जा सके।
- मेडिकल स्टाफ को विशेष ट्रेनिंग मिलनी चाहिए ताकि वे समय पर सही इलाज कर सकें।
- ब्लड डोनेशन कैंप में जागरूकता बढ़ानी चाहिए, जिससे लोग अपने ग्रुप की जांच और रजिस्ट्रेशन कराएं।
निष्कर्ष – CRiB से मिली चेतावनी को नजरअंदाज न करें

CRiB ब्लड ग्रुप सिर्फ एक मेडिकल खोज नहीं, बल्कि भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए एक चेतावनी है। यह मामला हमें बताता है कि हर ब्लड ग्रुप को लेकर सतर्क रहना जरूरी है – चाहे वह कितना भी दुर्लभ क्यों न हो।
इस केस ने यह साफ कर दिया कि भारत को अब रेयर ब्लड ग्रुप्स की पहचान, संग्रह और ट्रांसफ्यूजन के लिए एक मजबूत और आधुनिक सिस्टम तैयार करना होगा।
अब ज़रूरत है
- आधुनिक जांच तकनीकों की
- Rare Donor की रजिस्ट्री बनाने की
- और आम जनता को जागरूक करने की
तभी हम आने वाले समय में ऐसे मामलों का सामना कर सकेंगे और कई ज़िंदगियाँ बचा सकेंगे।
Disclaimer
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