अगर आप होटल, रेस्टोरेंस्ट या थड़ी पर बनी कचौरी, समोसे या तली हुई चीजें ज्यादा खा रहे हैं तो सावधान हो जाइए। दुकानदार एक ही तरह के जले हुए काले तेल में आपको ये बार-बार तलकर खिलाते हुए बीमारियां दे रहे हैं।
इस काले तेल से बनी चीजों से लगातार हार्ट अटैक, नसों में ब्लॉकेज, लकवा, कैंसर व पेट संबंधी बीमारियां हो रही है तो इम्यूनिटी घटती जा रही है। आरएनटी के एमबी चिकित्सालय में प्रतिदिन ऐसे 400 से 500 मरीज आ रहे हैं जो कोलेस्ट्रॉल, बीपी, हार्ट की बीमारी से ग्रसित है। हर चौथे-पांचवें मरीज को तो फेटी लीवर हो रहा है।
चिकित्सा विभाग ने इसके पीछे के कारणों में तली-भुनी चीजों के ज्यादा सेवन के साथ ही होटल, रेस्टोरेंट व थड़ी पर बिकने वाली कचौरी, समौसे व पकोड़े खाना बताया है। चिकित्सकों का कहना है कि एक ही तेल को गर्म कर बार-बार उसमें खाने की चीजों को तला जा रहा है। गाढ़ा काला तेल होने के बावजूद उसे बदला नहीं जा रहा है, उसमें भी उल्टा नया तेल डालकर बीमारियां दे रहे हैं।
1. समोसे में बार-बार गरम किया गया तेल – सबसे बड़ा खतरा

समोसा भारत का सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड है, लेकिन इसके अंदर छिपे कई अनजाने खतरे हैं, खासकर जब बात आती है बार-बार गर्म किए गए तेल की। स्ट्रीट वेंडर या कई रेस्टोरेंट्स में एक ही तेल को कई बार इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उसमें ट्रांस फैट और कैंसरकारी तत्वों का निर्माण होने लगता है। बार-बार गरम होने पर तेल में polycyclic aromatic hydrocarbons (PAHs) और aldehydes जैसे हानिकारक यौगिक बनते हैं। ये यौगिक कोशिकाओं की संरचना को नुकसान पहुंचाते हैं और लंबे समय तक सेवन करने पर यह डीएनए को भी प्रभावित कर सकते हैं, जो कैंसर की शुरुआत की एक बड़ी वजह बनता है।
इसके अलावा, बार-बार गरम तेल के सेवन से फ्री रेडिकल्स बनते हैं, जो शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ाते हैं और कोशिकाओं में सूजन व खराबी पैदा करते हैं। इस तरह की सूजन लंबे समय तक बनी रहे, तो कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।
2. तले हुए मैदे से बनता है Acrylamide – एक कैंसरकारी रसायन

समोसा सामान्यतः मैदे से बनाया जाता है और उसे डीप फ्राई किया जाता है। मैदा यानी रिफाइंड फ्लोर में न तो फाइबर होता है और न ही अन्य पोषक तत्व, जिससे यह पाचन पर अतिरिक्त दबाव डालता है। लेकिन उससे भी खतरनाक बात यह है कि जब मैदे को उच्च तापमान पर तला जाता है, तो उसमें Acrylamide नामक रसायन बनता है।
Acrylamide एक ऐसा यौगिक है जो तब बनता है जब स्टार्च युक्त खाद्य पदार्थों को 120 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर पकाया जाता है। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि यह यौगिक कैंसर से जुड़ा हुआ है, खासतौर पर कोलन (बड़ी आंत) और गर्भाशय से संबंधित कैंसरों में इसकी भूमिका बताई गई है। हालांकि मनुष्यों में यह लिंक सीधे तौर पर साबित नहीं हुआ है, लेकिन जानवरों पर किए गए प्रयोगों में यह कार्सिनोजेनिक (कैंसर उत्पन्न करने वाला) पाया गया है।
3. बासी आलू, मसाले और सस्ते तेल – ज़हर जैसे घटक

समोसे के अंदर भरा जाने वाला आलू और मसालों का मिश्रण अगर ताजा न हो, तो वह शरीर के लिए ज़हर साबित हो सकता है। अक्सर देखा जाता है कि कई जगहों पर बासी आलू का उपयोग किया जाता है, जिसमें solanine नामक जहरीला तत्व पनप सकता है। यह तत्व आलू के खराब होने या अंकुर निकलने पर बनता है और अगर इसे लगातार खाया जाए, तो यह शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
साथ ही, सस्ते और घटिया क्वालिटी के तेल का इस्तेमाल करना, जिनमें पहले से ही ट्रांस फैट की मात्रा अधिक होती है, समोसे को और अधिक हानिकारक बना देता है। कई बार यह तेल पाम ऑयल या री-यूज़्ड तेल होता है, जो कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने, हृदय रोग और मोटापे जैसी समस्याओं के साथ-साथ कैंसर का भी खतरा बढ़ाता है।
मसालों की बात करें, तो उनमें मिलावट होना आम है। खासकर रंग, स्वाद और खुशबू बढ़ाने के लिए मिलाए गए रसायन लंबे समय तक सेवन करने पर स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।
4. समोसा और कोल्ड ड्रिंक – सबसे खतरनाक कॉम्बिनेशन

अगर आप समोसे के साथ कोल्ड ड्रिंक या सोडा पीते हैं, तो आप अनजाने में अपने शरीर को कैंसर और अन्य गंभीर रोगों की तरफ ले जा रहे हैं। समोसा पहले ही ट्रांस फैट, हाई कैलोरी और डीप फ्राई तत्वों से भरा होता है। ऊपर से जब कोल्ड ड्रिंक जैसे शुगर-लोडेड और केमिकल युक्त पेय का सेवन किया जाता है, तो वह शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस, गैस्ट्रिक इरिटेशन, और सूजन (inflammation) को और बढ़ा देता है।
शोध बताते हैं कि चीनी और प्रोसेस्ड फूड का अत्यधिक सेवन शरीर में क्रॉनिक इंफ्लेमेशन को बढ़ाता है, जो कैंसर का एक बड़ा कारण माना जाता है। इसके अलावा कोल्ड ड्रिंक में मौजूद caramel coloring और phosphoric acid जैसे यौगिक भी कैंसर और किडनी डैमेज से जुड़े हुए हैं।
यह कॉम्बिनेशन आपके पाचन को भी बिगाड़ता है, जिससे गैस, एसिडिटी और लंबे समय में आंतों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
5. हफ्ते में कितनी बार खाना सही है समोसा

अगर आप समोसे के शौकीन हैं, तो आपको यह जानना जरूरी है कि इसका सेवन कितनी मात्रा में करना सुरक्षित है। विशेषज्ञों के अनुसार, समोसा एक “ऑकज़नल ट्रीट” के रूप में खाया जा सकता है, यानी सप्ताह में 1 बार से ज्यादा नहीं। नियमित सेवन से वजन बढ़ना, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर, और हॉर्मोनल असंतुलन की समस्या हो सकती है।
एक मीडियम साइज समोसे में औसतन 250-300 कैलोरी होती है, और यदि इसे तले हुए तेल में बनाया गया हो तो इसमें 15-20 ग्राम फैट हो सकता है। अगर इसे हफ्ते में 3-4 बार खाया जाए तो यह सालभर में वजन को 5-7 किलो तक बढ़ा सकता है।
विशेष रूप से बच्चों, गर्भवती महिलाओं, डायबिटीज या हृदय रोग के मरीजों को समोसे से दूरी बनाकर रखनी चाहिए या इसे बेक या एयर फ्राइड विकल्प में बदलना चाहिए।
6. कैंसर के अलावा कौन-सी बीमारियां बढ़ाता है समोसा
समोसा सिर्फ कैंसर के खतरे को नहीं बढ़ाता, बल्कि यह कई अन्य खतरनाक बीमारियों की वजह भी बन सकता है:
- मोटापा (Obesity): अत्यधिक कैलोरी और ट्रांस फैट के कारण तेजी से वजन बढ़ता है।
- हृदय रोग (Heart Disease): सैचुरेटेड और ट्रांस फैट ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं।
- डायबिटीज (Diabetes): हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले आटे और आलू के कारण ब्लड शुगर बढ़ सकता है।
- पाचन संबंधी समस्याएं: जैसे गैस, कब्ज, एसिडिटी।
- कोलेस्ट्रॉल लेवल का असंतुलन: खासकर जब समोसा री-यूज़ तेल में बना हो।
अगर इन बीमारियों के शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ किया जाए, तो आगे चलकर यह शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकते हैं और जीवनशैली को पूरी तरह बदल सकते हैं।
7. क्या बेक्ड समोसा या एयर फ्राइड समोसा सुरक्षित है

जी हां, यदि आप समोसे का स्वाद तो लेना चाहते हैं लेकिन हेल्थ को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते, तो बेक्ड या एयर फ्राइड समोसा एक बेहतरीन विकल्प है। इसमें तेल की मात्रा बेहद कम होती है, जिससे ट्रांस फैट या डीप फ्राई से बचा जा सकता है।
इसके अलावा, आप समोसे के लिए मैदे की जगह गेहूं का आटा, बाजरे का आटा या ज्वार जैसे हेल्दी विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं। आलू की जगह मटर, पनीर, टोफू, या मिक्स सब्जियां डालकर इसे न्यूट्रिशियस बना सकते हैं।
घर पर बनाए गए बेक्ड समोसे में आप जैतून का तेल, हिमालयन नमक और ऑर्गेनिक मसालों का इस्तेमाल करके इसे और हेल्दी बना सकते हैं। इससे न केवल स्वाद बरकरार रहेगा बल्कि कैंसर व अन्य रोगों का जोखिम भी कम होगा।
8. वैज्ञानिक शोध और डॉक्टरों की राय क्या कहती है
WHO, FDA, और कई मेडिकल जर्नल्स ने यह चेतावनी दी है कि प्रोसेस्ड और डीप फ्राइड फूड्स जैसे समोसा, लंबे समय तक सेवन किए जाएं, तो यह कैंसर की संभावना को बढ़ा सकते हैं। विशेष रूप से acrylamide, trans fats, और oxidized oils को कैंसर से जुड़ा माना गया है।
AIIMS, ICMR और अन्य भारतीय हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने भी लोगों को हाई-फ्राई और हाई-कैलोरी स्ट्रीट फूड्स से दूर रहने की सलाह दी है। डॉक्टरों की राय है कि कभी-कभार अगर समोसा खाया जाए, वह भी ताजे तेल में बने बेक्ड संस्करण में, तो शरीर इसे संभाल सकता है। लेकिन बार-बार, खासतौर पर बचपन से नियमित सेवन करने से पेट, आंत, और हॉर्मोनल असंतुलन जैसे गंभीर जोखिम हो सकते हैं।
एक हालिया अध्ययन में यह पाया गया कि जो लोग सप्ताह में 3 बार से अधिक डीप फ्राई फूड खाते हैं, उनमें कोलन कैंसर, लिवर कैंसर, और गॉल ब्लैडर कैंसर की संभावना 40% तक अधिक होती है।
निष्कर्ष
समोसा स्वादिष्ट जरूर है, लेकिन इसके नियमित और गलत तरीके से सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। विशेष रूप से बार-बार गरम तेल, डीप फ्राई, घटिया सामग्री और कोल्ड ड्रिंक जैसे संयोजन इसे और खतरनाक बना देते हैं। सही विकल्पों और सीमित सेवन से आप इसका आनंद भी ले सकते हैं और सेहत भी बनाए रख सकते हैं।
डिस्क्लेमर
इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। Dr You भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।