बरसात में क्यों बढ़ जाता है पेट दर्द
बारिश के दिनों में आपने अक्सर देखा होगा कि बच्चे या बड़े सभी कुछ-कुछ दिनों में पेट दर्द की शिकायत करते हैं। असल में, मानूसन का सीजन ऐसा है, जो पकोड़े और चाय की चुस्कियों के मजे लेने से शुरू होता है। लेकिन, मानसून की शुरुआत होते ही कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। इसमें फंगल इंफेक्शन, स्किन प्रॉब्लम, हेयर फॉल आदि। यहां तक कि इन्हीं दिनों मच्छरों के काटने के कारण डेंगू, मलेरिया और टायफाइड जैसी बीमिरयें का रिस्क भी बढ़ जाता है। बहरहान, क्या आप जानते हैं कि बरसात के दिनों में बार-बार पेट दर्द होने की समस्या भी बनी रहती है।
बरसात में पेट दर्द बढ़ने के 6 मुख्य कारण
1. बैक्टीरिया और वायरस से संक्रमण का खतरा बढ़ जाना

बरसात के मौसम में नमी और गंदगी के कारण जलजनित (Waterborne) और खाद्यजनित (Foodborne) बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। दूषित पानी, खुले में रखा खाना और गीली जगहों पर पनपते बैक्टीरिया पेट की बीमारी का मुख्य कारण बनते हैं।
लक्षण
- पेट में मरोड़
- हल्का या तेज़ दर्द
- दस्त या उल्टी
- बुखार
कैसे बचें
- साफ पानी का ही सेवन करें (उबला या फिल्टर किया हुआ)
- बाहर का खाना, खासकर सड़क किनारे का, पूरी तरह टालें
- हाथ धोने की आदत बनाए रखें
2. पाचन क्रिया का कमजोर होना

बरसात में वातावरण की ठंडक और नमी पाचन अग्नि (digestive fire) को मंद कर देती है। इससे पेट ठीक से खाना नहीं पचा पाता और गैस, भारीपन व पेट दर्द की समस्या हो जाती है।
लक्षण
- पेट में जलन
- भारीपन महसूस होना
- गैस और डकारें
- आलस्य
समाधान
- अदरक, काली मिर्च और हिंग का सेवन करें
- खाना हल्का और सुपाच्य लें
- दही की जगह छाछ पिएं
3. दूषित खाद्य पदार्थों का सेवन

बरसात में हरी सब्ज़ियों, फलों और स्ट्रीट फूड्स पर बैक्टीरिया और कीड़े जल्दी पनपते हैं। ये पेट में जाकर संक्रमण फैलाते हैं।
क्या न खाएं
- कटे-फटे फल जो खुले में रखे हों
- चटपटा, तला-भुना खाना
- बासी भोजन
सुरक्षित विकल्प
- ताज़ा पका हुआ घर का खाना
- नींबू और धनिया युक्त खिचड़ी या मूंग दाल
- हल्दी डालकर दूध या पानी
4. मौसमी बुखार और वायरल का प्रभाव पेट पर

बरसात में वायरल फीवर, डेंगू, टायफाइड जैसी बीमारियों के संक्रमण से भी पेट पर असर पड़ता है। संक्रमण की वजह से आंतें प्रभावित होती हैं और दर्द होता है।
लक्षण
- पेट दर्द के साथ बुखार
- भूख में कमी
- उल्टी या मतली
उपाय
- ORS और तरल आहार लें
- डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक या संक्रमण रोधी दवाएं
- आराम करना बहुत ज़रूरी
5. पानी की कमी या डिहाइड्रेशन

बरसात में हमें प्यास कम लगती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि शरीर को पानी की ज़रूरत नहीं होती। पानी कम पीने से पाचन प्रक्रिया धीमी होती है और कब्ज़, गैस और पेट दर्द की आशंका बढ़ जाती है।
संकेत
- पेट में कसाव
- मल त्याग में कठिनाई
- सूखा मुंह, चक्कर
उपाय
- दिन में 8–10 गिलास पानी पिएं (गुनगुना पानी उत्तम)
- नींबू पानी, नारियल पानी, छाछ लें
- जल-युक्त फल खाएं – जैसे तरबूज, खीरा
6. तनाव और मौसम बदलाव के कारण हार्मोनल असंतुलन

बारिश का मौसम कई लोगों को भावनात्मक और मानसिक रूप से प्रभावित करता है। मूड स्विंग्स, अनिद्रा, और तनाव भी पाचन पर असर डालते हैं।
लक्षण
- बिना कारण पेट दर्द
- भूख कम लगना
- पेट में कसाव या ऐंठन
समाधान
- ध्यान, प्राणायाम और योग करें
- तुलसी और अदरक की चाय लें
- अच्छी नींद लें
बरसात में पेट दर्द से राहत देने वाले घरेलू उपाय

1. अदरक-शहद का सेवन
अदरक पेट की ऐंठन को शांत करता है और शहद संक्रमण से लड़ता है।
कैसे लें: आधा चम्मच अदरक का रस + 1 चम्मच शहद – दिन में दो बार
2. हिंग और अजवाइन का मिश्रण
गैस और अपच में बेहद प्रभावी है।
कैसे लें: 1/4 चम्मच हिंग + 1/2 चम्मच अजवाइन गुनगुने पानी के साथ
3. पुदीना पानी
ताज़गी के साथ-साथ पेट को ठंडक देता है और मरोड़ से राहत देता है।
4. जीरे का काढ़ा
जीरा पाचन सुधारता है और गैस कम करता है।
कैसे लें: 1 चम्मच जीरा + 2 कप पानी में उबालें, गुनगुना पिएं
5. नींबू और सेंधा नमक
खाली पेट लेने से पाचन क्रिया बेहतर होती है।
बरसात में पेट दर्द से बचाव के टिप्स

आदत | लाभ |
---|---|
उबला पानी पिएं | संक्रमण से बचाव |
साफ-सुथरे बर्तन में खाना | बैक्टीरिया से बचाव |
रोज़ाना हल्का योग या प्राणायाम | पाचन और तनाव नियंत्रण |
ताज़ा, गर्म भोजन लें | पाचन में सहायक |
बाहर का खाना कम करें | पेट सुरक्षित |
विशेषज्ञों की राय
“बरसात के मौसम में पेट से जुड़ी बीमारियाँ सबसे ज़्यादा देखने को मिलती हैं, क्योंकि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता इस मौसम में थोड़ा कमजोर हो जाती है। ऐसे में साफ-सफाई और खानपान का विशेष ध्यान ज़रूरी है।”
— डॉ. निधि शर्मा, आयुर्वेद विशेषज्ञ
निष्कर्ष (Conclusion)
बरसात के मौसम में पेट दर्द एक सामान्य लेकिन गंभीर समस्या बन सकती है अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए। यह संक्रमण, खराब पाचन, दूषित खाना, तनाव और मौसम के प्रभाव का नतीजा हो सकता है। लेकिन सावधानी, संतुलित आहार और प्राकृतिक उपायों की मदद से इससे आसानी से बचा जा सकता है।
याद रखें
“बरसात में सिर्फ छाता नहीं, सही खानपान और साफ पानी भी ज़रूरी है।”
डिस्क्लेमर
इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। Dr You भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।