राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस

राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस – जीवनदाताओं के नाम एक दिन National Doctors’ Day – A Day Dedicated to the Healers of Humanity

सिर्फ दवा नहीं, दुआ भी देते हैं ये फरिश्ते – जिनका नाम है डॉक्टर!”“They don’t just treat illness, they inspire hope

क्या आपने कभी किसी आपातकालीन वार्ड का दृश्य देखा है? जब पूरा परिवार टूट चुका होता है, आँखों में डर और दिल में एक ही उम्मीद होती है – “डॉक्टर कुछ कर लेंगे!”
हाँ, वही डॉक्टर जो 36-48 घंटे की ड्यूटी, बिना नींद, बिना आराम और बिना शिकायत – ज़िंदगी से लड़ते हैं, सिर्फ़ इसलिए कि कोई और हार न मान जाए।

डॉक्टर – शरीर ही नहीं, आत्मा के भी चिकित्सक

हम अक्सर सोचते हैं कि डॉक्टर सिर्फ़ टेस्ट, दवा और रिपोर्ट तक सीमित होते हैं। लेकिन ज़रा सोचिए – जब कोई मां अपने नवजात को बचाने की मिन्नत करती है, जब एक बुज़ुर्ग कहता है “बेटा बचा लो,” तो डॉक्टर क्या सिर्फ़ एक प्रोफेशनल होता है?
नहीं! वो इंसान से ऊपर उठकर देवदूत बन जाता है।

1 जुलाई – क्यों है डॉक्टरों को समर्पित

हर साल भारत में 1 जुलाई को “राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस”मनाया जाता है। यह दिन डॉ. बिधान चंद्र रॉय की याद में मनाया जाता है, जो अपने समय के सबसे बड़े डॉक्टरों में से एक थे

एक दुर्लभ संयोग

जन्म: 1 जुलाई 1882
मृत्यु: 1 जुलाई 1962
यानी वे जिस दिन इस दुनिया में आए, उसी दिन इसे अलविदा भी कहा

डॉ. बिधान चंद्र रॉय – डॉक्टर, मुख्यमंत्री और भारत रत्न Dr. B.C. Roy – A Legend Beyond the Stethoscope

विवरणजानकारी
शिक्षाMBBS (कलकत्ता), MRCP & FRCS (लंदन)
सम्मानभारत रत्न – 1961
राजनीतिक योगदानपश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री (1948–1962)
चिकित्सा सेवाआधुनिक चिकित्सा संस्थानों की स्थापना, गरीबों के लिए इलाज

उन्होंने चिकित्सा को एक सेवा बनाया, न कि सिर्फ़ प्रोफेशन।

भारत में यह दिन केवल स्मृति नहीं, बल्कि सम्मान और जागरूकता का आंदोलन है

अगर आपके जीवन में किसी डॉक्टर ने फर्क डाला है – तो आज का दिन उन्हें धन्यवाद कहने का है।
“Thank you for healing more than wounds – thank you for healing hearts

कुछ अनोखे तरीक़े जिनसे आप आज एक डॉक्टर का दिन बना सकते हैं:

हाथ से लिखा एक नोट या कार्ड
सोशल मीडिया पर उनकी तारीफ़ (Tag करना न भूलें!)
छोटा-सा गिफ्ट या धन्यवाद पत्र
अपने बच्चों को डॉक्टरों के योगदान के बारे में बताना

क्या आप जानते हैं

डॉ. रॉय ने AIIMS जैसे संस्थानों की कल्पनासबसे पहले की थी। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और एम्स के विकास की नींव रखी।
उनका जीवन दर्शन था – “The best way to find yourself is to lose yourself in the service of others.”

संदेश:

डॉक्टर केवल सफेद कोट नहीं पहनते – वे उम्मीद का रंग पहनते हैं!

Doctors wear the color of hope not just a white coat.

हमारा कर्तव्य है कि हम डॉक्टरों का आदर करें, उनके योगदान को समझें और उनके लिए एक बेहतर, सुरक्षित, और सहयोगी समाज बनाएं।

क्या हम डॉक्टरों को केवल तब याद करते हैं जब हम बीमार होते हैं?
क्या आपने कभी किसी डॉक्टर को दिल से “धन्यवाद” कहा है – बिना इलाज के?
क्या हम डॉक्टरों की मानसिक सेहत की भी उतनी ही परवाह करते हैं?

सलाम उन जीवनदाताओं को – जो हर दिन हमारे लिए लड़ते हैं!

“वो क़लम से नहीं, स्टेथोस्कोप से इतिहास लिखते हैं।
वो भाषण नहीं, जीवन बचाते हैं।
वो भगवान नहीं – लेकिन भगवान के सबसे करीबी ज़रूर है

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